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क्रेडिट कार्ड अक्सर मिलेजुले विचारों के साथ आते हैं—एक ओर ये सुविधाजनक हैं, दूसरी ओर गलत इस्तेमाल इन्हें महंगे कर्ज़ में बदल देता है। क्रेडिट कार्ड मूल रूप से एक अल्पकालिक ऋण ही हैं: आप आज खर्च करते हैं और भविष्य की आय से चुकाने की उम्मीद रखते हैं। यही “भविष्य की आशा” वाला मनोविज्ञान जोखिम पैदा करता है, क्योंकि रोज़मर्रा या मनोरंजन के खर्च भी उधार पर होने लगते हैं। अगर अनुशासन न हो, तो यही सुविधा सबसे मुश्किल वित्तीय जाल बन सकती है। इसलिए क्रेडिट कार्ड को “पैसा है” की भावना नहीं, बल्कि “यह उधार है” की स्पष्ट समझ के साथ इस्तेमाल करना जरूरी है।
क्रेडिट कार्ड पर बकाया रकम पर लगने वाला ब्याज अक्सर सबसे ऊंचा होता है। जहां होम लोन 8–9% और एजुकेशन लोन 10–12% सालाना हो सकते हैं, कई क्रेडिट कार्ड बकाया पर 35–40% सालाना तक चार्ज कर सकते हैं। यह दरें इस वजह से ऊंची हैं क्योंकि कंपनी के लिए रिस्क ज्यादा है—आपने सामान ले लिया, पर भुगतान बाद में करना है। समस्या तब और बढ़ती है जब पूरा बिल चुकाने के बजाय सिर्फ “मिनिमम अमाउंट ड्यू” भर दिया जाता है। इस न्यूनतम भुगतान से कार्ड सक्रिय तो रहता है, पर शेष राशि पर ऊंचा ब्याज बढ़ता रहता है, और समय के साथ बकाया राशि भारी हो सकती है।
मिनिमम पेमेंट की सुविधा अक्सर मन को सुकून देती है—कम रकम देकर भी कार्ड चलता रहता है। लेकिन वास्तविकता यह है कि बाकी बचे बकाये पर ऊंचा ब्याज जुड़ता है, जो चक्रवृद्धि की तरह तेजी से बढ़ सकता है। यदि यह बकाया आपकी चुकाने की क्षमता से ऊपर निकल गया, तो डिफॉल्ट का जोखिम पैदा होता है। डिफॉल्ट केवल तत्काल परेशानी नहीं, बल्कि भविष्य की उधारी पर भी असर डालता है—आगे चलकर आपको लोन मंजूरी मुश्किल हो सकती है या दरें ज्यादा मिल सकती हैं। वित्तीय यात्रा की शुरुआत में यह खास तौर पर हानिकारक है।
इसके बावजूद, अनुशासित उपयोग के साथ क्रेडिट कार्ड लाभ भी दे सकते हैं। सबसे बड़ा लाभ होता है ब्याज-मुक्त अवधि—आमतौर पर बिल जनरेशन तक 30–45 दिन का समय मिलता है। इस दौरान आपके खाते का पैसा आपके पास रहता है, जिसे सुरक्षित और तरल साधनों में अल्पकाल के लिए रखा जाए तो मामूली सा अतिरिक्त रिटर्न भी मिल सकता है। रिटर्न बहुत बड़ा नहीं होगा, पर यह “फ्री फ़्लोट” का इस्तेमाल है—शर्त यही कि देय तिथि तक पूरा बिल चुकाया जाए। साथ ही, कार्ड से किए गए खर्च संगठित रूप में ट्रैक होते हैं, जिससे बजटिंग और खर्च पर नियंत्रण आसान होता है।
बेहतर उपयोग के लिए कुछ सरल नियम अपनाएं: हर माह पूरा स्टेटमेंट समय पर चुकाएं; “मिनिमम ड्यू” के भरोसे न रहें। अनावश्यक फीस और चक्रवृद्धि ब्याज से बचने के लिए ऑटो-पे सेट करें और लिमिट के भीतर ही खर्च करें। बड़े खर्च से पहले सुनिश्चित करें कि बिलिंग डेट और नकदी प्रवाह मेल खाते हों ताकि ब्याज-मुक्त अवधि का पूरा लाभ मिल सके। और सबसे अहम—क्रेडिट कार्ड को आय का विकल्प नहीं, भुगतान का माध्यम समझें। सही अनुशासन के साथ, वही कार्ड जो जोखिम बन सकता है, आपकी वित्तीय सुविधा और छोटे-मोटे लाभ का साधन भी बन सकता है।
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